ग़ाज़ा युद्ध पर विराम लगाने के लिए, यूएन महासचिव ने दोहराई अपील
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने केनया की राजधानी नैरोबी में एक पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि फ़लस्तीनियों और पूरे क्षेत्र का भविष्य एक नाज़ुक डोर से बंधा हुआ है.
7 अक्टूबर को हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों द्वारा इसराइल पर आतंकी हमलों के बाद इसराइल की जवाबी कार्रवाई शुरू हुए क़रीब सात महीने बीत चुके हैं.
10 लाख से अधिक फ़लस्तीनियों ने दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह इलाक़े में शरण ली हुई है, जहाँ इसराइली सैन्य अभियान जारी है. क़रीब एक लाख लोगों ने रफ़ाह छोड़ दिया है, और वे अब उत्तरी ग़ाज़ा की ओर बढ़ रहे हैं.
महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि ग़ाज़ा में विशाल ज़मीनी हमला, एक अपार मानवीय आपदा की वजह बनेगा और अकाल के जोखिम से जूझ रहे लोगों तक समर्थन पहुँचाने के हमारे प्रयासों को धक्का पहुँचेगा.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ग़ाज़ा में जीवनरक्षक मानवीय सहायता फिर से शुरू करने के लिए सभी पक्षों के साथ सम्पर्क में जुटा है. रफ़ाह और केरोम शेलॉम चौकियों से मानवीय सहायता के साथ-साथ ईंधन पहुँचाना भी अहम है.
इस बीच, रफ़ाह में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केन्द्रों तक पहुँच जल्द ही मुश्किल हो सकती है और वहाँ कामकाज पर असर पड़ने की आशंका है. दक्षिणी ग़ाज़ा में मानवीय सहायताकर्मियों के पास शरण के लिए टैंट व खाद्य सामग्री फ़िलहाल उपबल्ध नहीं है.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हर हाल में आम नागरिकों की रक्षा की जानी होगी, विशेष रूप से निर्बलों की, जिनके लिए लड़ाई के बीच अन्य स्थानों पर जाना सम्भव नहीं है.
इनमें गर्भवती महिलाएँ, बच्चे, घायल, बीमार, वृद्धजन व अन्य विकलांगजन है.
पश्चिमी तट पर असर
यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि ग़ाज़ा में घटनाक्रम का क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े पर बड़ा असर हो सकता है. पश्चिमी तट में इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों द्वारा हिंसा को अंजाम दिए जाने की घटनाएँ बढ़ रही हैं.
वहीं, इसराइली सुरक्षा बलों द्वारा अत्यधिक बल का इस्तेमाल किए जाने की भी ख़बरें हैं, और क़ाबिज़ क्षेत्र में घरों को ध्वस्त करने और लोगों को जबरन बेदख़ल करने के मामले सामने आए हैं.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि यह दर्शाता है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को एक स्वर में ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम, सभी बंधकों की तत्काल, बिना शर्त रिहाई और ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के लिए बोलना होगा.